23) मुहब्बत
दूर हो कर भी दिल के करीब हो तुम,
करुँगी मुहब्बत तुम्हीं से
करीब रहो या दूर तुम।
इसी पाक मुहब्बत की कसम है तुम्हें मगर,
‘गर ताल्लुक है मुझसे कोई
या रखना है मुस्तकबिल में अगर
छोड़ना होगा जाम मेरी खातिर तुम्हें,
नहीं पीना होगा यह ज़हर मेरी खातिर तुम्हें।
सताये तुम्हें गम, तन्हाई या दर्द कभी,
आना होगा मेरे पास दवा लेने तभी,
दूँगी तुम्हें मुहब्बत का जाम पीने को मैं,
आने न दूँगी करीब तुम्हारे कभी गम को मैं।
न तुम्हें मौज-ए-ग़म से निकाल सकी अगर,
मौत को लगा लूँगी गले
तुम्हें तबाह न होने दूँगी मगर।
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नेहा शर्मा ‘नेह’