2122/2122/212
गज़ल
2122/2122/212
कहते हैं वो खानदानी है बहुत।
खून में उसके रवानी है बहुत।।
लोग प्यासे मर रहे हैं अनगिनत,
यूं तो चारो ओर पानी है बहुत।
जो किया है भोगना है फल हमें,
आपदाएं और आनी हैं बहुत।
मत है, इसको मत करो बर्बाद तुम,
बात ये सबको बतानी है बहुत।
प्यार, घर परिवार औ’र मां बाप है,
जीने को खेती किसानी है बहुत।
देश पर कुर्बान होने का जिगर,
जिसमें है ऐसी जवानी है बहुत।
राधा गोपी ग्वाल ‘प्रेमी’ बन जिओ,
एक पल की जिंदगानी है बहुत।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी