Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2024 · 1 min read

20

20
के लगभग अवैतनिक अवकाश 28 के लगभग उपार्जित अवकाश उउउउउऊ कूल मिलाकर 55000 हज़ार का नूकसान ।।।
गत वर्ष की कहानी हैं यह सभी अवकाश मैने घर पर आराम के लिये लिए ।वाह 60000 rs आराम हेतू गजब ह ना ।।।।।।हा किसी क्लास का course नही हुआ हो तो बताये।।।।

1 Like · 87 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
# खरी  बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
■ बड़े काम की बात।।
■ बड़े काम की बात।।
*प्रणय*
तू ठहर चांद हम आते हैं
तू ठहर चांद हम आते हैं
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
अयोध्या
अयोध्या
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
People will chase you in 3 conditions
People will chase you in 3 conditions
पूर्वार्थ
अभी बाकी है
अभी बाकी है
Vandna Thakur
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मिजाज मेरे गांव की....
मिजाज मेरे गांव की....
Awadhesh Kumar Singh
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
सारे शारीरिक सुख को त्याग कर मन को एकाग्र कर जो अपने लक्ष्य
Rj Anand Prajapati
एक दिन
एक दिन
Dr fauzia Naseem shad
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मोहब्बत।
मोहब्बत।
Taj Mohammad
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
सुनो जब कोई भूल जाए सारी अच्छाइयों. तो फिर उसके साथ क्या किय
shabina. Naaz
ସେହି ଲୋକମାନେ
ସେହି ଲୋକମାନେ
Otteri Selvakumar
क्या कहूं उस नियति को
क्या कहूं उस नियति को
Sonam Puneet Dubey
" पाठ "
Dr. Kishan tandon kranti
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
बेहद दौलत भरी पड़ी है।
सत्य कुमार प्रेमी
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
तू जब भी साथ होती है तो मेरा ध्यान लगता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Raju Gajbhiye
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
कर सकता नहीं ईश्वर भी, माँ की ममता से समता।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
कवि दीपक बवेजा
प्रेम
प्रेम
Dinesh Kumar Gangwar
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
वो जुगनुओं से भी गुलज़ार हुआ करते हैं ।
Phool gufran
फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
फुरसत के वो दिन भी बीत गए अब तो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
***** शिकवा  शिकायत नहीं ****
***** शिकवा शिकायत नहीं ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...