20. सादा
खाली करने लगा हूँ दिल को मैं तुझसे,
जब से तेरे इश्क से मुखौटा हटाया है;
खुशी नहीं मिलती है अब खुशियां मनाने से,
ग़म के सागर में जब से गोता लगाया है।
सादा इश्क मैं ढूँढता रहा सारे जहां में,
तेरे कच्चे रंग की खातिर सच्चाई को मिटाया है;
मैं गीत हजारों लिख देता तेरे प्यार में यूँही,
तूने बड़े प्यार से मेरे प्यार को झुठलाया है।
ग़म में डूबकर रहे और दुनिया को हँसाया है,
सोने की तलाश में हमने हीरे को गंवाया है;
बिलखकर रो पड़े थे वो छूट जाने के लम्हों में,
सुनहरी यादों को दिल में उसने भी दफनाया है।।
~राजीव दत्ता ‘घुमंतू’