(2) सुनो मेरी दास्तां
आओ मै सुनती हूं तुम्हें एक कहानी,
जो है मेरी ही जुबानी।
मैं हूं एक सड़क कच्ची ,
जिसकी बरसात में हो जाती है छुट्टी।
जब आती है बरसात तो लोग बहुत खुश होते हैं,
लेकिन वो मेरी हालत को देखकर बहुत रोते हैं।
मैं बन जाती हूं उनकी घर से न,
निकल पाने की मजबूरी,
क्योंकि मेरे कारण वह नहीं तय कर,
पाते खेतों और शहरों कि दूरी ।
बारिश में जब आ जाता है मेरी,
सतह पर इतना कीचड़ ,
कि अगले दो-तीन दिन तक कोई,
नहीं आना चाहता मेरे भीतर।
मैंने कहा गाव वालो को की,
करा दो मुझे पक्की,
लेकिन वो बोले कि नेता तो,
नहीं बैठने देता नाक पर मख्खी।
स्वयं रचित
Shutisha Rajput