13-छन्न पकैया छन्न पकैया
छन्न पकैया छन्न पकैया, मौसम है गर्मी का
तेज धूप है बदन जलाती, कृषक और कर्मी का
छन्न पकैया छन्न पकैया, टपके खूब पसीना
नर-नारी, पशु पक्षी का, कठिन हुआ है जीना
छन्न पकैया छन्न पकैया, प्यास नहीं है बुझती
पीते पानी जितनी उतनी, और अधिक है लगती
छन्न पकैया छन्न पकैया, तेज धूप झुलसाती
घने वृक्ष की छाँव सभी को, ठंडक है पहुँचाती
छन्न पकैया छन्न पकैया, रोज निमंत्रण आता
मिलता पूरी पकवान बहुत, मगर न मन को भाता
छन्न पकैया छन्न पकैया, पी मटकी का पानी
लू से जान बचाये निर्धन, बैठे छप्पर छानी
छन्न पकैया छन्न पकैया, गज़ब प्रकृति की माया
शीत लहर से ठिठुरन हो पर, लू झुलसाती काया
-अजय कुमार मौर्य ‘विमल’