पढूॅ नव कोई मधुरिम छंद 12/9/22
12/9/22
श्रंगार छंद -16 मात्रा, सममात्रिक
आदि -त्रिकल
अंत- त्रिकल ,गाल
बढे नित मेरे हिय की पीर।
हुआ मन मेरा बहुत अधीर।।
करो भगवन ऐसा उपचार।
घटे मेरे मन का अब भार। ।
बहे जग में बनकर मकरंद ।
पढूॅ नव कोई मधुरिम छंद।।
छंद में हो जीवन का सार।
मातु कर दो मुझ पर उपकार।।
मिले नित तेरा ही अब प्यार।
जिये सुख में ही ये संसार। ।
अटल नित करता यह अरदास।
करा दो खुशियों का अहसास। ।
प्यार से दुनिया हो आबाद।
नहीं हों दुनिया में अवसाद। ।
यही हैं इस जन के अब भाव।
तरे भव से सब की ही नाव। ।
#अटल मुरादाबादी #