चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
किरण हर भोर खुशियों से, भरी घर से निकलती है (हिंदी गजल/ गीति
!! जलता हुआ चिराग़ हूँ !!
जिंदगी और उलझनें, सॅंग सॅंग चलेंगी दोस्तों।
इन टिमटिमाते तारों का भी अपना एक वजूद होता है
💐प्रेम कौतुक-474💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कवि एवं वासंतिक ऋतु छवि / मुसाफ़िर बैठा
आंधियों से हम बुझे तो क्या दिए रोशन करेंगे
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
ख़ामोशी से बातें करते है ।
23/111.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
‘’The rain drop from the sky: If it is caught in hands, it i
जीवन उत्साह
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै