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11 Jun 2023 · 1 min read

1- विद्यालय

विद्यालय

चरित्र निर्माण स्थल, राजनीति की पाठशाला।

संरक्षण मिलता नेताओं का, गुन्डों का बोलबाला।।

पढ़ने में दिलचस्पी कम है, राजनीति करें ज़्यादा।

छोटे-छोटे मुद्दों पर रहते, धरना देने को आमादा ।।

पुस्तक की जगह पिस्टल लेकर, आते हैं कॉलेज में।

घरवालों को धोखा देते, वृद्धि नहीं नॉलेज में।।

पुलिस व प्रशासन से बिल्कुल नहीं डरते।

अनुशासन तो दूर, सम्मान गुरूजन का नहीं करते ।।

भ्रष्टाचारी परीक्षा-पत्र, खुलवा लेते समय से पूर्व |

नोटों की कमाई कर जेबें भरते भरपूर ।।

परीक्षा में नकल करना, हुई आम बात है।

शिक्षा के क्षेत्र में, यह बहुत बड़ा आघात है।।

छोटे स्कूलों में भी होते कुछ घोटाले।

वास्तव में बच्चे कम, फर्ज़ी अधिक होते दाखिले ।।

प्राथमिक पाठशाला में पोषाहार की व्यवस्था ।

ईमानदारी का काम नहीं, हालत बड़ी खस्ता ।।

फर्ज़ी दाखिलों के बल पर खेल होता मोटा।

सरकार से लेते अध्यापक, राशन का अधिक कोटा ।।

उचित मात्रा में मिलता नहीं, बच्चों को पोषाहार ।

वितरण करते आधा पौना, शेष पर अपना अधिकार।।

“दयानंद”

Language: Hindi
67 Views
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