06- किया-दिल पे वार ।
फिर किया है आज उसी ने मेरे दिल पे वार
लेके कंहाँ चला ?आज फिर वो अपनी पतवार।।
बटोर लिया हमने बहुत अब हद से पार चला
जगह कंहाँ बची है सच कहूँ जेहन में अपने यार।।
उफ़क़ की तरफ देख तो जरा नजर खोल के
परिंदा भी खड़ा है तैयार वो जाने को उस पार।।
अब कोई कमजोर नहीं रह गया है परख तो
दौड़ रहा है किसलिए भला रे ! पथ के यायावार।।
जाग चला सितारों का काफिला तू भी तो जाग
ढोना है तुझी को यह जिंदगी समझ माने पारावार ।।
फ़िकर क्या ? जब हम सब जमें हैं अडिग यों
लौटा है वो हमने देखा” साहब”अब तक हजारों बार।।