04-कल मिलेंगे ।
बड़े वेरुखे हो यार होके ,कहते हो कल मिलेंगे।
कमल के फूल हो क्या ,कि पानी होगा तब खिलेंगे।।
मोहब्बत की दरिया में कूद कर ,क्यों वे बफा हुए
पेड़ के पत्ते तो नहीं , जब हवा चलेगी तब हिलेंगे ।।
गूलर के फूल को हमने , कभी खिलते नहीं देखा
गलियारे की घास हैं हम , जो काम ना हमसे पड़ेंगे ।।
थाम लिए हाथ जो अब ,उन्हें छोड़ना है कसम फिर
क्या धार ? वो छोड़नी है ,संग आये तो संग चलेंगे।।
हमने शब्दों के मुहं को तो ,यों लगाम लगा रखी है
झूठे वायदे नहीं किये हैं ,कल किये फिरआज टलेंगे ।।
सूंघने की आदत में ही ना हो ,तुम पाल “साहब”हमारे
गुलाब काँटों में ही खिले हैं , तो काँटों में ही फ़रेंगे ।।