?सद्गुरु वंदन???
? “चराचर जगत के गुरु तत्व को समर्पित” ?
?? श्रीसद्गुरु वंदन ??
?✏मत्तगयंद सवैया छंद??
??????????
नाश करौ उर के तम कौ अब, जीवन हो उपहार गुरू जी।
ज्ञान-प्रकाश भरौ मम जीवन, आपहि बुद्धि सुधार गुरू जी।
जानत नाहिं अबोध-अकिंचन, मो पर हो उपकार गुरू जी।
आठहुँ सिद्धि नवों निधि कौ सुख, छोड़ करौ भव-पार गुरू जी।।
आय गयौ पद-पंकज मांहि जु, लोभ-सँसारिक ते अब तारौ।
हाथ धरौ मम शीश गुरूवर, मेटि देओ जग कौ तम सारौ।
ज्ञान-विवेक जगाय भरौ उर, ‘तेज’ प्रकाश महा-उजियारौ।
दास करै पद-वंदन आपकुँ, बांह गहो भव-पार उतारौ।।
??????????
?तेज✏मथुरा✍