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17 Jul 2022 · 1 min read

😊तेरी मिरी चिड़ी पीड़ि😊

डॉ अरूण कुमार शास्त्री 💐 एक अबोध बालक💐 अरुण अतृप्त

अदाएँ भी उनकी खताएँ भी उनकी
अब सनम से क्या बलाएँ भी उनकी

नही कोई शिकवा न कोई शिकायत
ये अहले कदम हैं फ़िज़ाएं भी उनकी

नहीँ कोई रहबर नहीं कोई सानी
ये फितना से हम है ये मेरी कहानी

नही ज़ोर चलता न होगी मेहरबानी
चलो चाहे घुटनों या रगड़ लो पेशानी

मुकद्दर की बातें मुकद्दस से होंती
मुकद्दर मिरा की सब है बातें पुरानी

तुझे प्यार करना पड़ा मुझको भारी
अम्मू न अब्बा न नानू की मानी

हुये घर से रुसबा शहर में जनाज़ा
मुहल्ला है दुश्मन अब तो सुनो मेरे आका

फटी मेरी फतुनीं , फटी है रजाई
हैं सर्दी की रातें उस पर तेरी जुदाई

अदाएँ भी उनकी खताएँ भी उनकी
अब सनम से क्या बलाएँ भी उनकी

नही कोई शिकवा न कोई शिकायत
ये अहले कदम हैं फ़िज़ाएं भी उनकी

नहीँ कोई रहबर नहीं कोई सानी
ये फितना से हम है ये मेरी कहानी

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