?*माँ*?
जो लिख सकूँ माँ के बारे में !
इतना कहाँ मेरी कलम में दम है !!
माँ तो वो हस्ती है जिसके बारे में !
जितना लिखा जाए उतना कम है !!
फिर भी उठाई है कलम !
तो कुछ न कुछ लिखूँगी जरूर !!
माँ की तो बात ही कुछ ऐसी है !
जिस पर हम सबको है गुरुर !!
माँ के बिना तो ना तुम ना हम !
ना ही किस्मत और ना ही कर्म !!
ना ही पाप और ना ही धर्म !
ना ही ख़ुशी और ना ही गम !!
इस दुनिया में आने का जरिया है माँ !
हर जीव जन्तु की जरूरत है माँ !!
चुका नहीं सकता माँ का कर्ज कोई !
बच्चों के लिए रब का दूसरा रूप है माँ !!
बच्चों की खातिर माँ सहती हर दर्द है !
जरूरत पड़ने पर माँ बन जाती मर्द है !!
माँ की ममता का कोई मोल नहीं !
माँ है तो सब है वरना तो बस रब है !!
माँ के आँचल में दुनिया का हर सुख है !
बच्चों के लिए माँ सह लेती हर दुःख है !!
जिन्द जान भले ही चली जाए खुद की !
पर बच्चों को आने देती नहीं कोई दुःख है !!
रब का दिया अनमोल तोहफा है माँ !
धरती पे जन्नत का दूसरा रूप है माँ !!
खिलती ना ये जगत फुलवारी …!
अगर बनाई ना होती रब ने माँ …!!