?वैवाहिक वर्षगांठ?
वैवाहिक वर्षगांठ
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मैं परिणयसुत्र में बधा
वह दिन आज का था,
मेरे सुमधुर सपनों का संसार बसा
वो दिन आज का था।
एक मीत मिला मनमीत मिला
वह दिन आज का था,
मेरे होठो पर जो गीत सजा
वह दिन आज का था।
मेरे अरमानों के पंख लगे
वह दिन आज का था,
मेरे सपने जिस दिन हंस बनें
वह दिन आज का था।
मेरे घर एक परी का वास हुआ
वह दिन आज का था,
उस परी निहित उपवास हुआ
वह दिन आज का था।
कर्तव्य परायण पति बना
वह दिन आज का था,
तुम धर्मपरायण पत्नी बनी
वह दिन आज का था।
मैं तेरा प्रेम प्रताप बना
वह दिन आज का था,
तुम मेरी प्रीत प्रयाय बनी
वह दिन आज का था।
मैं तेरे सुर का तान बना
वह दिन आज का था,
तूं मेरे कुल की आन बनी
वह दिन आज का था।
हर्षित मैं तूं हर्ष बनी
वह दिन आज का था,
मैं प्रतिज्ञा तूं शर्त मेरी
वह दिन आज का था।
मैं मुख मलीन तूं तेज बनी
वह दिन आज का था,
मै फूल गुलाब तूं सेज बनी
वह दिन आज का था।
मैं राह बना तूं पथिक मेरी
वह दिन आज का था,
मैं प्राण बना तुम प्राणेश्वरी
वह दिन आज का था।
……………✍
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
18/2/2018??