💐आत्म साक्षात्कार💐
डॉ ० अरुण कुमार शास्त्री एक 💐 अबोध बालक
अरुण अतृप्त
किसी ने क्या खूब लिखा :
: यकीनन जीवन में केवल दो ही वास्तविक धन है…समय और सांसें…..*
और दोनों ही निश्चित और सीमित हैं इसलिए समझदारी से खर्च किया जाना चाहिए…..
बाकी सब धूल है या फिर हम सब की भूल है….. !!
💐आत्म साक्षात्कार💐
कितना सामान है देखो
मिरे घर में है भरा पड़ा
सभी कुछ तो है मिरी चाहत का
मेरे घर में अटा पड़ा ।।
करूँ चाहत में और अब किसकी
समझ में कुछ नहीं आता
मगर ये ले लूँ ये भी ले लें
ये भरम क्यों नहीं जाता ।।
समय के साथ साथ इच्छायें
ये अब कम क्यों नहीं होती
ये तृष्णाएं आखिर कब तलक होंगी
यही गम हर पल मुझको है सताता ।।
बहुत सोचा बहुत खोजा इस बारे में
रास्ता साफ साफ़ दिखाई दे
रुके इच्छायें ये अधूरी सी
वो पल अब ही क्यों नहीं जाता ।।
चलो इस खोज का,
निकाला हल कोई जाए
चलो संयम से बाहर
ज्यादा ध्यान कम जाए ।।
इस बात से बेहतर है कोई
विकल्प नहीं नजर आता
सुखी हो जीव दुनिया के
यही हो कामना सबकी ।।
कोई भी धरती पर न हो
भूखा यही हो कोशिश हम सबकी
मिली राहत मिला आनंद ये सुनकर
दिखी है मोहिनी हर जन की ।।
खिली मुस्कान चेहरों पर अब सुख की
इसी अंदाज में ये जीवन गुजरने दो
सभी को मिल सके मन की
यही अब रीत चलने दो ।।
कितना सामान है देखो
मिरे घर में है भरा पड़ा
सभी कुछ तो है मिरी चाहत का
मेरे घर में अटा पड़ा ।।
करूँ चाहत में और अब किसकी
समझ में कुछ नहीं आता
मगर ये ले लूँ ये भी ले लें
ये भरम क्यों नहीं जाता ।।