? ?” युग बदल रहा है”???
? ?” युग बदल रहा है”???
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” साहित्य को फिर से पढ़ा जाने लगा है
लगता है फिर से ,स्वर्णिम साक्षरता का
युग आने लगा है।”
” साहित्य की फ़सल लहलहाने लगी है
आचरण में सभ्यता मुस्कराने लगी है ।”
” लगता है, युग बदल रहा है,कविता,
कहानी, लेखों को भी कोई पढ रहा है “।
“ज्ञान का प्रकाश जगमगा रहा है
कोई लिख, कोई पढ़ रहा है। ”
” माना की लिखने के शौंक को निक्क्मों
का शौंक कहा गया ।
पर हम निक्क्मों का लिखना ही कई निक्क्मों
के काम आ गया ।”
“विचारों के मंच पर मैंने ,कुछ बीज डालें है
कहानियों की क्यारियाँ हैं,शब्दों के मोती हैं,
कविताओँ में मुरली की धुन है, गज़ल ऐ जज़्बात,
मेरा लिखा किसी के लिये प्रेरणा स्रोत बन जाये
तो मैं समझूँ की मेरा लिखना कामयाब है।।”