????गुल ए गुलज़ार कर????
आती रहे तेरी याद कुछ ऐसे क़रार कर,
करता हूँ इन्तजार अब न बेक़रार कर।।
आती रहे………………
इतने दिनों से तेरी रहमत पर जी रहा हूँ,
इतने दिनों से अश्कों को घुट-2 के पी रहा हूँ।
बहुत हो गया अब, गुल-ए-गुलज़ार कर।।
आती रहे तेरी याद …………………..
सब्र इस तिफ़्ल का टूटा जा रहा है,
वक्त, बे-वक्त बनकर मुझको सता रहा है।
इतना तो बुरा नहीं हूँ, अब न तार तार कर।।
आती रहे तेरी याद …………………….
कुछ ऐसी करामात कर दे ”अभिषेक” के लिए,
जीता ही रहूँ बस तेरे दीदार के लिए।।
ऐसा इस गुलाम के लिए, रूख़ अख़्तियार कर।
आती रहे तेरी याद ……………………..
##अभिषेक पाराशर (9411931822)##