?मुझे तन्हाई पसंद है ?ग़ज़ल
मैं तन्हा हूँ मुझे तन्हाई पसंद है
अब न तेरी मुझे बेवफाई पसंद है
तुमसे वफ़ा कर मिला ग़म की सिला
अब न ज़िंदगी को रूसवाई पसंद है
चाहत की तश्नगी मिट चुका दिल से
अब यादों की करवटें-अंगड़ाई पसंद है
नही चाहिये बेवफा तेरी वफ़ा अब हमें
छोड़ दो इस हाल में जुदाई पसंद है
जिस शहर जाना है जा, चले जा दूर
तेरी चाहत की अब न खुदाई पसंद है
दुष्यंत कुमार पटेल “चित्रांश”