??? योद्धा की परीक्षा तथा कर्तव्य ?? ?
योद्धा की वीरता का परिचय बस रण में ही होता है,
जब उसकी चमकती तलवार पर शत्रु का सिर होता है।
और धधकती हृदय अग्नि को शर वर्षा के शान्त करें,
क्रोध भरी हुंकारों से दुश्मन को जो क्लान्त करें।।
योद्धा की वीरता………………………………
बस यहीं न केवल आकर के उस वीर की परीक्षा खत्म हुई,
काटे वह शत्रु की सेना को जो युद्ध में है डटी हुई।
विद्युत गति से वह करे प्रयास शत्रु को धूल चटाने में,
कोई कसर नहीं छोड़े वह,उन्हें मौत की नींद सुलाने में।
योद्धा की वीरता………………………………
उसके कदमों की आहट से शत्रु की सेना काँप उठे,
रक्त वर्ण हो जाएं धरती और योगिनियाँ भी नांच उठे।
हो जाए काल स्वयं प्रकट उस वीर पुरुष के स्वागत में,
और करें उसका भीषण सहयोग, शत्रु पड़े घबराहट में।
योद्धा की वीरता………………………………
धर्म की रक्षा हो परम लक्ष्य, सत्य का वह आचरण करें पुनीत,
शत्रु चमू पर पड़े प्रभाव और गाए उसके मंगल गीत।
मातृभूमि की रक्षा में वह वीर रहे सदैव तत्पर,
कैसी भी हो अग्निपरीक्षा, उसका वह दे प्रतिउत्तर।।
योद्धा की वीरता……………………………… ##अभिषेक पाराशर(9411931822)##