?? श्रीकृष्ण लीला ??
? श्रीकृष्ण लीला ?
(प्रसङ्ग – खेल में श्रीकृष्ण और सखाओं के बीच का वार्तालाप )
?विधा – मनहरण घनाक्षरी?
?जय जय श्रीराधे…..श्याम?
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कुंजन निकुंजन में
खेल-खेल लुका-छिपी
समझे हो मन-मांहि
बड़े ही खिलार हौ।
धार कें उंगरिया पै
थारी बिन पैंदे वारी
करौ अभिमान बड़े
तीक्ष्ण हथियार हौ।
देखौ रण-कौशल हू
भागि भये रणछोर
अरे डरपोक कहा
भौंथरी ही धार हौ।
हमऊँ हैं ब्रजबासी
झांसे में यों नाय आवैं
तेज भले कितने हो
पर तुम गमार हौ।
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खेल रह्यौ घात कर
जीत की न बात कर
घने देखे तेरे जैसे
कृष्ण-नंदराय जू।
तेरे हों खिरक भरे
कमी हमारेउ नाय
अनगिन बंधी द्वार
जाय देख गाय जू।
नित करै रुमठाई
हमपै सही न जाय
जाय जसुदा के ढिंग
दें सब सुनाय जू।
बसते न तेरी ठौर
न ही तेरौ दियौ खामें
‘तेज’ ऐसे लच्छन न
हमकूं सुहाय जू।
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? तेज मथुरा✍