🌺🌺🌺शायद तुम ही मेरी मंजिल हो🌺🌺🌺
शायद तुम ही मेरी मंजिल हो,
तुम्हें देखा मैंने दिल की रोशनी के लिए,
तलब उठती रही तेरी मस्ती के लिए,
कू-ए-यार की तुम ही असली महफ़िल हो,
शायद तुम ही ……………….
सभी निशान तेरे ही दर्शन हैं,
सभी तेरी ही ज़मीन-नीला अम्बर है,
तभी तो तुम मेरे संग दिल हो,
शायद तुम ही ……………………
हर जगह रुक रुक कर एहसास है तेरा,
हर कीमत पर तू कीमत है मेरा,
तुम ही मेरे बाइस-ए-शेफ़्तगी हो,
अब तुम ही………………………..
©अभिषेक: पाराशर:
बाइस^-ए-शेफ़्तगी*-मोह का कारण।
^यह अरबी शब्द है।
*यह फ़ारसी शब्द है।