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27 Nov 2017 · 3 min read

?महिला और मान सम्मान ?

?महिला और मान सम्मान ?

आज के समय सबसे ज्यादा प्रसिद्ध फिल्मकार संजय लीला भंसाली व उनके व्दारा निदेशक से बनी दीपिका पादुकोण , रणबीर सिंह और सभी महत्वपूर्ण कलाकार से बनी फिल्म “पदमावती” का जोरदार तरीके के साथ विरोध हो रहा है। यह विरोध एक सति महारानी की अस्मिता की सुरक्षा के लिए। एक स्त्री की मान , सम्मान की रक्षा के लिए किया जा रहा है। फिल्म के बारें में, कथा, पटकथा के संबंध में अनेक शोधपरक आलेख, विचारकों के विचार, साहित्यकार, इतिहासकार,
लेखक, कवि और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, सबसे पहले, सबसे तेज आज का मीडिया। सोशल मीडिया पर सभी की कलम अच्छे से चल रही है। आज का दौर सबको अपनी अमूल्य राय रखने का दौर है , क्योंकि की सोशल मीडिया पर टिप्पणी लिखने वाला व्यक्ति अपनी बात, अपने विचार रख रहा है। चाहे वह राजा हो या मजदूर गरीब हो सबको अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं । इसलिए इस आधुनिक युग में सब बराबर हैं ।
सभी फैसले शांति से हल होते हैं। फिल्म के लिए सेंसर बोर्ड है, बड़े-बड़े फिल्मकार है , इतिहासकार है, शोधार्थी है, न्यायपालिका है । चौथा स्तम्भ मीडिया है। सत्य हमेशा परेशान होता है, लेकिन जीत उसकी ही होती है , जो सत्य है , वह सत्य ही रहता है।
इसलिए इस युग में महिला शिक्षा, महिला के लिए सब कुछ त्याग करके उसे पढ़ाओ , उसकी रक्षा करो , महिला की अस्मिता के लिए आवाज़ सबकी जिम्मेदारी है। न्याय सबके लिए बराबर होना चाहिए। किसी एक के लिए नहीं होना चाहिए। सभी महिलाओं की अस्मिता है , मान सम्मान है। सभी महिलाओं को सुरक्षा देना सभी का कत॔व्य है, सच्ची मानवीय संवेदना है। यही मानवीयता वीरता है। महिला अत्याचारों में सभी वग॔ शामिल है अमीर, गरीब, मध्यमवर्गीय इसमें भेद मत करों। मानवीयता की भावना रखकर सभी महिलाओं को मुख्यधारा में लाओं। आज जन्म से लेकर बुढ़ी होने तक स्त्रियों पर अमानवीय व्यवहार देखने, सुनने को मिल रहा है । प्रथम विचारणीय प्रश्न है?

आज के समय अगर कोई कहता है कि मैं ही अनंत काल से सबकुछ हूँ, मै ही इस सृष्टि, संसार का अंग हूँ। मै ही महान हूँ। मै ही ज्ञानी , शूरवीर , हमारे पुव॔जो का बलिदान, संसार के लिए महान काय॔ किये है। इतिहास में हम ही सबसे ताकतवर है और हमसे ही संसार चलता है । हम ही समाज के लिए दान-पुण्य करते हैं। इसलिए हमारा मान है, सम्मान है यही से शुरुवात होती है जो अपने आप को सबसे ज्ञानी, उच्च, शूरवीर , सबसे ज्यादा महान, सबसे अलग समझते उसका ही इस संसार में पतन होता है। सबसे हार होती है। हार कर भी खेल भावना रखते नहीं फिर तो और ज्यादा दयनीय स्थिति होती है । महल खंडहर में तब्दील हो जातें है। जो आज है वह कल रहता नहीं। बस हमें जोड़ना है , सबको साथ लेकर चलना है , हम सब एक है । सबकी भावना प्रथम देश हित में है , सभी में खेल भावना है। सृष्टि अपना काय॔ बराबर कर रही है। हमें संतुलन बनाए रखना है। भारतीयता किसी एक टुकडे से नहीं सभी पुर्जे से बनती है। भारत देश की अखंडता सदैव बनी रहेगी।
ये पब्लिक है सब जानती है अन्दर क्या है, बाहर क्या है। लोकतंत्र में जनता ही राजा है, जनता ही सबकुछ है। इसलिए समय के साथ चलना है।

नव वर्ष आया है, सुख-समृद्धि लाया है
समय का चक्र चलता है, नव युग का इतिहास बनता है
नया सोचना है, नया करना है
यही अपनी रीत है , यही अपना धम॔ है।
@कापीराइट- राजू गजभिये ( RG )

Language: Hindi
Tag: लेख
437 Views
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