?समझौता न होता?
समझौते से बढकर,जग मे जीत नही होती।
भरत न जाते मिलने,राम से प्रीत नही होती।।
रावण करता समझौता,तो,जीत नही होती ।
नारी से बढकर करके,कोई प्रीत नही होती।।
मोहिनी रूप न होता तो,उनसे प्रीत नही होती।
शिव शंकर की भस्मा,सुरसे जीत नही होती।।
माँ कैकैयी ना होता तो,पुत्र से प्रीत नही होती।
धोवी न होता तो,पत्नि की ये रीत नही होती।।
समझौता न होतातो,फिर जीत नही होती।
कृष्णा भाई को अपनी बहन से प्रीत नही होती।।
नारी ना होती तोसमझौता की रीत नही होती।
ना दुनिया होती,और जग से प्रीत नही होती।।
कृष्णकांत गुर्जर धनौरा
तह-गाडरवारा