? अन्नदाता किसान….. ?
? क्षणिकाएँ ?
जाड़ा गर्मी वर्षा सहके
श्रम-स्वेद में नितप्रति बहके
अन्न उगाकर करता दान
पर-उपकारी हुआ “किसान”।
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तप रहा तन
भट्टियों सा
कर रहा फिर भी
श्रमदान
धन्य धन्य
“कृषिकर्म-किसान”
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?तेजवीर ‘तेज’ मथुरा ✍