सलाह
व्यथित हो चुका मन
उन चंद गद्दारो से
देशद्रोही विचारो से
राष्ट्रवाद के लाचारो से ।
जो भारत मां की जय ना बोलें
ना बोलें तो ना बोलें
पर झूठे दम्भ के नाम
इस मिट्टी को ना तौलें ।
उस वीर बहादुर सैनिक की
आन यही तो कहती है
ये भारत मां जननी है मेरी
मेरे दिल मे रहती है ।
छोड दो तुम चिंता करना
हम इसकी सुरक्षा कर लेगें
हो चाहे जितनी मुश्किल घडियां
उस दुश्मन से लोहा ले लेगें ।
मातृभूमि की सेवा मे
बलिदान तक दे देगें हम
जो सर उठेगें दुश्मन के
उस सर को मिटा देगें हम ।
आजादी के नाम पर तुम
इतनी नफरत ना फैलाओ
ऐसा ना हो कि तुम भी
इसकी नफरत मे जल जाओ ।
मातृभूमि का सम्मान करोगे
तब सुंदर यश को पाओगे
देश विकास पथ पर बढ जायेगा
तुम भी सपूत कहलाओगे ।
स्वरचित/मौलिक
—पंकज पाण्डेय सावर्ण्य