【22】 तपती धरती करे पुकार
सूरज से तपती धरती को, वर्षा ने आ तृप्त किया
पेड़, पौधे, पंछी, भ्रमरों ने, मिलकर सुंदर नृत्य किया
{1} बादल, बदली बरसे तो, आ बूदों ने खुशहाल किया
धरती के सूखे आँचल को, शीतलता का दान दिया
तड़ – तड़, टप – टप करें बूंद सब, भूतल का सिंगार किया
जल पीकर जलमग्न हुई धरा, मरू का हुआ प्रसन्न जिया
सूरज से तपती …………..
{2} वट वृक्षों को जमी धूल से, बरखा ने मुक्त किया
पेड़ के धूमिल मुख मंडल को, आकर सुंदर रुप दिया
रोम-रोम खिल उठा प्रकृति का, सबने प्यारा गान किया
कहीं पर तितली, कहीं पर चिड़िया, ने पावन पैगाम दिया
सूरज से तपती ……………
{3} वर्षा के आते ही देखो, प्रकृति का खिल उठा जिया
मुरझाई फसलों को देखो, बरखा ने नव रूप दिया
खिले अनंत फूल खेतों में, फसलों को समृद्ध किया
हंसती खिलती देख फसल को, कृषक का खिल उठा हिया
सूरत से तपती ……………
{4} शीतल मंद पवन बरखा ने, कुछ पल को विश्राम किया
बच्चों की निकली हैं टोलियाँ, बारिश का आनंद लिया
बना के कागज कश्ती सभी ने, पानी पर प्रवाह किया
उछल कूद करते बच्चों ने, सबके मन को मोह लिया
सूरज से तपती …………..
Arise DGRJ [ Khaimsingh Saini ]
M.A, B.Ed from Rajasthan University
Mob. 9266034599