【1】 वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण बढ़ा है इतना, बन गया है दानव आकार
कठिन हो गया सांसे लेना, आँखों को हवा हुई मिर्ची हजार
{1} स्वार्थ में अंधा बना है मानव, करता प्रकृति संहार
फोड़ पटाखे जश्न मनाए, खुद पर करने लगा है वार
मौत के आगे नाच रहा खुद, कहां खोये इसके संस्कार
वायु प्रदूषण…………….
{2} पेड़ काटकर करें तबाही, जश्न मनाए कई – कई बार
मौत का मंजर देखना चाहें, हो गए हैं इतने मक्कार
धुआं के बादल नभ में छाए, चारों दिशा रही धिक्कार
वायु प्रदूषण…………..
{3} बना पटाखों का रावण, सब सोचें ये है जश्ने ए बहार
इन्हीं हरकतों से मानव, एक दिन हो जायेगा लाचार
उसके ही घर आँगन एक दिन, करने लगे उससे तकरार
वायु प्रदूषण………….
{4} बिना सोचे समझे कूड़े, करकट को जलाते हैं हर बार
क्लोरोफ्लोरोकार्बन बन ओजोन परत पर करते वार
पराबैंगनी किरणें आ, कर देंगी नष्ट सारा संसार
वायु प्रदूषण…………..
{5} वाहन और कारखानों से, दूषित धुआं निकले कई बार
अम्लीय वर्षा होवे तो, कहते हैं लोग भगवान संवार
अभी नहीं संभले तो जग में, हो जाएगा हाहाकार
वायु प्रदूषण………….