【【{{{{ माँ–एक बहाना सा }}}}】】
दौलत क्या शोहरत क्या एक माँ का नाम ही
इबादत है.
सौ फेर लो चाहे रब के नाम की माला,एक माँ
के दिल में ही ममता की इबारत हैं।
हज़ार खेल लो खेल चाहे बनाये ज़माने के,माँ के
आँचल में ही बच्चे की सच्ची शरारत है।
लाख खड़ी रहें मीनारें मोहब्बत के नाम पर,सबसे
ऊपर आज भी ममता की इमारत है।
कोटि कोटि प्रणाम,देव असुर सब पूजते आये जिसे,
सबकी ही अपनी माँ के कदमों को चूमने की चाहत है।
उदास होने का एक बहाना सा कर लेता हूँ मैं भी,मजबूर हूँ,
क्योंकि माँ की गोद में सर रखने की आज भी जो मेरी आदत है।