Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2020 · 2 min read

【【{{{{पछता पछता कर}}}}】】

गठड़ी बांध के गलतियां कंधों पर उठा उठा कर,
तड़प रहे हैं कल के शहजादे अब पछता पछता कर।

पहले तो खिलौना समझ खेलते रहे ज़िन्दगी से,
अब वक़्त गुजर गया तो रो रहे हैं पछता पछता कर।

टूट गए नासमझी में नादानों से दिल लगाकर,,हुए
बदनाम तो अब चल रहे है सर झुका झुका कर।

कोई नही करता रहम सतरंज के खेल मे,अब तो
वक़्त ने चल दी चाल,फिर रहे सब घबरा घबरा कर।

मौत से बदत्तर हो गया जीना दिखावे की दुनिया में,
आँसू पी रहा हर कोई नजरें खुद से ही चुरा चुरा कर.

निकाले से भी नही निकलती सांसें अब जिस्म से,
मजबूरी होगयी है जीना खुद को तड़पा तड़पा कर।

खुदा तो बहुत करता है इशारे बचने को,जान निकली
तो रावण ने भी क्या कर लिया पछता पछता कर।

हर कोई क़ाबिल है यहाँ खंजर चलाने मे,पीठ दिखायोगे
तो कर देगा ज़ख्मी,खंजर चला चला कर।

कितनी भी करलो मिनतें जो छोड़ गया उसे फिर से
मनाने की,दर्द ही पायोगे फिरसे उसे मना मना कर।

कल तक खा रहे थे जो कसमें साथ निभाने की,आज
तुमको वही ठुकरायेंगे झूठा बता बता कर।

हमने भी क्या पा लिया झुठ पे सच्चाई का दाम लगाकर,
भटकते फिर रहे आँसू अब इन आँखों में दिल से
निभा निभा कर।

आज जिसे बता रहे हो अपना सहारा,कल वहीं उछालेगा
नाम तुमारा उंगली उठा उठा कर।

विश्वास के नही क़ाबिल कोई मतलबी दौर में यहाँ,लूट ले
जाएगा कोई तुमारी खुशियां अपना सा बन,
मुस्करा मुस्करा कर।

नही अब कोई साथ देता दिल से किसी का,लाख करलो
यत्न चाहे कितना भी किसी को आजमा आजमा कर।

खेल मोहब्बत का है बदनाम हो गया,प्यार जता रहा हर
कोई तन से तन लगा लगा कर।

तमाशबीन है सारा ज़माना,मरहम लगाएगा कांटों से
ज़ख़्म पर,दवा में ज़हर मिला मिला कर।

खुद का ज़मीर ही करेगा खुद की शराफ़त की चोरी,भागते
फिरोगे एक दिन खुद से नजरें चुरा चुरा कर।

नाम मत लो उस बेवफा का जो ठुकरा के चला गया,सदियां
गुजर गई जिसे नाम से बुला बुला कर।

ये तन्हाइयों का शोर न बर्दास्त होगा तुमसे,दिल खुद ही
मरने को करेगा दीवारों से टकरा टकरा कर।

ज़िन्दगी गुलिस्तां हो चली मुरझाये फूलों की,महक जीने
की दम तोड रही मुरझा मुरझाकर।

मत भूलो तुमारे अपने ही लड़ेंगे तुमारी जायदाद की खातिर,
एक दिन छोड़ आएंगे तुमको शमशान में ये जला जला कर।

लिखने वालों ने भी कितना लिखा नक़ाब दुनिया का,समझ
फिर भी न आई किसीको चले गए यहाँ कितने ही समझदार
हक़ीक़त को समझा समझा कर।

बात को समझ कर आगे बढ़ने वाला ही बचेगा,गिरकर उठने वाला ही हसेगा, कितने ही फ़कीर चल दिए बस एक यही बात सीखा सीखा कर।

कर लेने दो इनको भी अपने शौंक पूरे सारे,अमन एक दिन किताबों का महल बनाएगा,जब करेगा नाम अपना
अखबारों में आ आ कर।

हमसे भी करी थी किसी ने सिफारिश लिखने की पछतावे पर,
हमने भी लिखा है निचोड़ जिंदगी का सारा पछता पछता कर।

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 553 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्यारा सा गांव
प्यारा सा गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" दीया सलाई की शमा"
Pushpraj Anant
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
भुक्त - भोगी
भुक्त - भोगी
Ramswaroop Dinkar
*सच्चे  गोंड और शुभचिंतक लोग...*
*सच्चे गोंड और शुभचिंतक लोग...*
नेताम आर सी
पूछी मैंने साँझ से,
पूछी मैंने साँझ से,
sushil sarna
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसानियत का कत्ल
इंसानियत का कत्ल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■ केवल लूट की मंशा।
■ केवल लूट की मंशा।
*प्रणय प्रभात*
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
Rajesh Kumar Arjun
मेरा सोमवार
मेरा सोमवार
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
अब खयाल कहाँ के खयाल किसका है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
सत्य कुमार प्रेमी
कोरोना का संहार
कोरोना का संहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
2515.पूर्णिका
2515.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
दुनिया जमाने में
दुनिया जमाने में
manjula chauhan
महुब्बत
महुब्बत
Vibha Jain
संवेग बने मरणासन्न
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
विश्व जनसंख्या दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस
Bodhisatva kastooriya
कल चमन था
कल चमन था
Neelam Sharma
भाथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / MUSAFIR BAITHA
भाथी के विलुप्ति के कगार पर होने के बहाने / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
वैशाख का महीना
वैशाख का महीना
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"बेहतर"
Dr. Kishan tandon kranti
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
फूल खिलते जा रहे हैं हो गयी है भोर।
surenderpal vaidya
Loading...