【【{{कशमकश}}】】
गुमशुम हम खड़े हैं कुछ यादें भुलाने को,
दिल दहक रहा है ज़ख्मों का कारवां जलाने को।
कशमकश हो रही है यहाँ खुद को मनाने को,
हम भी कर रहे हैं कोशिश कुछ घाव मिटाने को।
ये इश्क़ के मेलों में कितनी बदनामियां है,
कितने ही खिलौने मिलते हैं यहाँ दिल बहलाने को।
होता है शोर चारों तरफ,जब सनम छोड़ जाते हैं
तड़पाने को,
कहीं नही छुपते ये दर्द,आँसू एक पल भी न रुकते,
पलकों का घूँघट उठाने को।
हम तो चल पढ़े है फूटी किस्मत लिए,खुद के पाँव
आजमाने को.
देखेंगे कितना है ज़ोर ज़माने में,खाली एक अमन
को हराने को।