【मुझे जिंदगी का अंदाज़ क्या मिला】
मेरे फ़र्द^ इश्क़ का तग़ाफुल* क्या मिला,
मुझे इस जिन्दगी का इनाम क्या मिला।।1।।
^इकलौते *उपेक्षा
सवाल जो थे सब्र की सुर्खियाँ लिए हुए,
इक ज़बाब को छोड़कर ज़बाब क्या मिला।।2।।
तेरी बे-रुख़ी जो दिगर* बनी रही,
मुझे मेरे इश्क़ का हिसाब क्या मिला।।3।।
*आवृति में
दिलसोज़^ बनी रही तेरी हर इक नज़र,
सोचकर भी, वाइसे° दिलशाद* क्या मिला।।4।
^दुखदायी। °कारण *प्रसन्नचित्त
लड़ता रहा मैं जंग तेरे ख़्याल से,
मुझे मेरी जीत का दस्तख़त क्या मिला।।5।।
तेरी बज्म बनकर रह गई ‘अभिषेक’ के दिल,
मुझे मेरी जिंदगी का अंदाज़ क्या मिला।।6।।
@अभिषेक पाराशर??????