【बेटियों की उड़ान】
कृपालाल एक मजदूर है जो कबाड़े का काम करके अपने बीवी,बच्चों का भरण पोषण करता है उसके घर मे उसकी बीवी के अलावा उसकी दो बेटियां हैं जो स्कूल जाती हैं बड़ी बेटी कक्षा पांच में और छोटी बेटी कक्षा दो में पढ़ती हैं,घर मे कोई भी बेटा न होने
के कारण कृपालाल को अधिक मेहनत करनी पड़ती थी क्योंकि उसके पास कोई पुत्र नही था उसे और उसकी पत्नी को लगता था कि बेटा होने से घर मे अधिक पैसा आता और वो कमाता भी परन्तु बेटियां ये सब नही कर सकतीं ये चिंता अक्सर कृपालाल और उसकी पत्नी को बनी रहती थी।
कृपालाल की दोनो बेटियाँ पढ़ने में बहुत अच्छी थी जिसके कारण उन्हें पूरा स्कूल जानता था अध्यापक भी उन दोनों बहनों को अच्छे से जानते थे।
परन्तुउन्हें ज्यादा सहयोग नहीं मिलता था क्योंकि वो एक लड़की थी पर वो दोनों बहनें भी कुछ बनने का निश्चय कर चुकी थी और कृपालाल को यह जताना चाहती थी कि वो भी अपने परिवार का नाम रोशन कर सकती हैं इसलिए वो रात रात तक पढ़ाई करतीं और कभी कभी घर मे ज्यादा मजबूरी आने कारण वो बड़े जमींदारों के खेतों में भी काम कर आती थीं इसी प्रकार उनकी जिंदगी गुजर रही थी।
एक दिन जब जब कृपालाल कि दोनों बहनें स्कूल से घर आईं तो उन्होंने देखा कि उनके घर कुछ महमान आए हुए थे जो उनके पापा से ये कह रहे थे कि बच्चों को स्कूल क्यों भेजते हो वो लड़कियां हैं उन्हें स्कूल जाने की जरूरत नही है ससुराल में तो उन्हें घर का ही काम करना है कौनसा उन्हें पढ़लिखकर अच्छी नौकरी या अच्छा पैसा मिलेगा ये तो सिर्फ बेटा ही कर सकता है यह सुनकर दोनों बहनों को उस रिश्तेदार पर बहुत गुस्सा आया तब उन दोनों ने मन ही मन विचार किया कि अब वो और अधिक और मेहनत से पढाई करेंगी ताकि वो दिखा सकें कि वो भी सब कर सकती हैं इसीतरह उन्होंने अच्छे सेअपनी 12 की पढ़ाई ख़त्म करी और फिर कॉलेज में दाखिला ले लिया और देखते ही देखते उन दोनों का कॉलेज भी पूरा हो गया कॉलेज पूरा होने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी का फार्म भर दिया और फिर उसकी तैयारी करने लगीं 3 महीने बाद उनकी परीक्षा हुई जिसमें वो दोनों ही अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण हुईं जिसके कारण उन्हें एक अच्छी सी नौकरी मिल गई और रहने के लिए भी एक अच्छा सा घर मिल गया बेटियों को इस तरह नाम रोशन करते देख पिता रामलाल के मन से ये संसय भी मिट गया कि बेटियाँ कुछ नही कर सकती धीरे धीरे उन दोनों बहनों ने अपनी मेहनत से अपना ख़ुद का घर खरीद लिया और अब पूरा गांव ही उनकी इस तरक़्क़ी से हैरान था कि कैसे भला लड़कियों ने इतना बड़ा कार्य किया।
परन्तु उनकी मेहनत और लगन से यह साफ झलक रहा था कि उन्होंने इस मुकाम को हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत की और घरवालों का अविश्वाश भी सहा तब जाकर उन्हें ये सब मिल पाया और ये भरम टूट पाया कि लड़कियाँ भी जीवन मे बहुत कुछ प्राप्त कर सकती हैं
by-वि के विराज़
स्वरचित रचना?