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23 Jul 2020 · 1 min read

||【*त्याग*दो*】||

बुरी मनोस्तिथियों पर गोलियाँ अब दाग दो
जिस चीज़ का असर बुरा हो उस चीज को
अब त्याग दो।

कटु वाणी पर न सुर न ताल न अब राग दो
जिस वाणी से मन चोटिल हो उस वाणी को
अब त्याग दो।

लालच, इर्श्या,क्रोध,भेदभाव, मन मुटाव और
मन में समाहित समस्त विकारों को
अब त्याग दो।

त्याग दो अब छूरी चाक़ू तोप तलवार पीते हैं
जो खून किसी का उन हथियारों को
अब त्याग दो।

कविता-त्याग दो
कवि-विवेक कुमार विराज़

Language: Hindi
4 Likes · 8 Comments · 371 Views
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