Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Mar 2017 · 1 min read

❤वो हो तुम?

❤वो हो तुम?
मैं दुनिया को दुनिया कैसे कह दूँ,
मेरी एक ही दुनिया है,
वो हो तुम।।
मैं ज़माने से हर लड़ाई लड़ जाऊ तेरी खातिर,
मगर जंग में नाम तेरा होगा इसलिए झुक जाता हूँ तेरी खातिर,
जो हार जीत को बराबर करती,
वो हो तुम।।
मैं दरिया ही रह लूंगा मुझे समन्दर न बना अपनी खातिर,
मेरे आगोश में सिर्फ तुम रहना मेरी बाहे नहीं खुलती और की खातिर,
जिसका दिलो जान से हूँ मैं,
वो हो तुम।।
तमन्नाओ का हुजूम दिल में आता है तेरी खातिर,
अपने आपमें समाता हूँ तेरी खातिर,
जो आग जलाती है बुझाती है,
वो हो तुम।।
फशाने और अपसानो में आया तेरी खातिर,
जानो को अंजानो सा पाया तेरी खातिर,
एक मै सब नजर आते,
वो हो तुम।।
जान मनु की लगती हो,
जान से प्यारी दिखती हो,
जान मै जान जो लाती है,
वो हो तुम।।
?मानक लाल मनु✍

Language: Hindi
305 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नमस्कार मित्रो !
नमस्कार मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
Pahado ke chadar se lipti hai meri muhabbat
Pahado ke chadar se lipti hai meri muhabbat
Sakshi Tripathi
*हनुमान जी*
*हनुमान जी*
Shashi kala vyas
कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
नवरात्रि-गीत /
नवरात्रि-गीत /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
".... कौन है "
Aarti sirsat
2915.*पूर्णिका*
2915.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिता एक सूरज
पिता एक सूरज
डॉ. शिव लहरी
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
बीत गया प्यारा दिवस,करिए अब आराम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
The sky longed for the earth, so the clouds set themselves free.
Manisha Manjari
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
पूर्वार्थ
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
Dr Archana Gupta
पता नहीं किसने
पता नहीं किसने
Anil Mishra Prahari
नयी भोर का स्वप्न
नयी भोर का स्वप्न
Arti Bhadauria
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
ऊपर चढ़ता देख तुम्हें, मुमकिन मेरा खुश होना।
सत्य कुमार प्रेमी
आखिर कब तक
आखिर कब तक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
"न तितली उड़ी,
*Author प्रणय प्रभात*
*वंदे मातरम् (मुक्तक)*
*वंदे मातरम् (मुक्तक)*
Ravi Prakash
“ बधाई आ शुभकामना “
“ बधाई आ शुभकामना “
DrLakshman Jha Parimal
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
Dr. Kishan tandon kranti
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
याद है पास बिठा के कुछ बाते बताई थी तुम्हे
Kumar lalit
महबूबा
महबूबा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Loading...