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24 Jul 2022 · 1 min read

✍️ सर झुकाया नहीं✍️

✍️ सर झुकाया नहीं✍️
…………………………………………………………………//
हमने पुरखों की जायदाद पर हक़ जताया नहीं ।
ये ज़मी आसमाँ हमारा है पर कभी बताया नहीं ।।

मेरे अंधेरो पर मेरा आफ़ताब बेमिसाल रोशन है ।
मैंने रात के उजालों के लिये चाँद को सताया नहीं ।।

अक़्सर कोई तारा टूटकर ज़मी पर गिरते देखा है ।
पर दिल की किसी मन्नत को कभी फरमाया नहीं ।।

कही अरमानों का बोझ लेके सफ़र पे चले थे हम ।
पाँव के छालों ने चश्म से एक अश्क़ गिराया नहीं ।।

‘अशांत’हम तो गुनहगार हुए सबकी झोली भरकर ।
किस्मत सामने खड़ी थी हमने ही सर झुकाया नहीं ।।
………………………………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
24/07/2022

3 Likes · 7 Comments · 172 Views
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