✍️ कर्म लेखनी ✍️
🌹शीर्षक 🌹
✍️ कर्म लेखनी ✍️
मैं इस कर्म लेखनी का
घनत्व लिखता हूं,
संभाला है इसी ने मैं
अपनत्व लिखता हूं;
असत्य कंटक बिखेरा
सदा सत्य के मग में।
विफल हुआ न कभी सत्य का
महत्व लिखता हूं।।
बचपन से ही इसका मुझको
साथ मिला है,
डाल-डाल पर ज्यों कुसुमित
अनुराग खिला है;
विमला का संदेश अचेतन
मन को भाया।
ऐसे अमिट प्रताप का सात्विक
तत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक………..
विफल हुआ न………
वालिदैन से अर्जित बोध को
मौखिक लिखा,
तूलिका से गुरु का ज्ञान
आलौकिक लिखा;
पग विचलित होने पर तत्क्षण
हमें संभाला।
कलम तेरी असीम कुव्वत
अस्तित्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक………..
विफल हुआ न……..
राजा-रंक सभी की करनी
तुमने गाया,
मैंने शब्दों को पढ़-लिख
कौतूहल पाया;
तुझसे कोई बचा नहीं न
बच पाएगा।
जग में फैली ख्याति का
प्रभुत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक……….
विफल हुआ न……..
तूं न होती अचिर धरा पर
क्या-क्या होता,
यह सारा जग भ्रांति तम-आलय
में सोता;
“रागी” तेरी हर पंक्ति से
शिक्षा मिलती।
तुझसे सबको प्राप्त प्रदत्त
समत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक……….
विफल हुआ न………
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी”
कुशीनगर उत्तर प्रदेश
चलभाष 📞 :
+91 9450984941मैं इस कर्म लेखनी का
घनत्व लिखता हूं,
संभाला है इसी ने मैं
अपनत्व लिखता हूं;
असत्य कंटक बिखेरा
सदा सत्य के मग में।
विफल हुआ न कभी सत्य का
महत्व लिखता हूं।।
बचपन से ही इसका मुझको
साथ मिला है,
डाल-डाल पर ज्यों कुसुमित
अनुराग खिला है;
विमला का संदेश अचेतन
मन को भाया।
ऐसे अमित प्रताप का सात्विक
तत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक………..
विफल हुआ न………
वालिदैन से अर्जित बोध को
मौखिक लिखा,
तूलिका से गुरु का ज्ञान
आलौकिक लिखा;
पग विचलित होने पर तत्क्षण
हमें संभाला।
कलम तेरी असीम कुव्वत
अस्तित्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक………..
विफल हुआ न……..
राजा-रंक सभी की करनी
तुमने गाया,
मैंने शब्दों को पढ़-लिख
कौतूहल पाया;
तुझसे कोई बचा नहीं न
बच पाएगा।
जग में फैली ख्याति का
प्रभुत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक……….
विफल हुआ न……..
तूं न होती अचिर धरा पर
क्या-क्या होता,
यह सारा जग भ्रांति तम-आलय
में सोता;
“रागी” तेरी हर पंक्ति से
शिक्षा मिलती।
तुझसे सबको प्राप्त प्रदत्त
समत्व लिखता हूं।।
असत्य कंटक……….
विफल हुआ न………
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी”
कुशीनगर उत्तर प्रदेश
चलभाष 📞 :
+91 9450984941