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✍️अरमान टूट से गए✍️
चली थी आसमान को छूने जमीन पर आ गिरी हूं ,सोचती थी यहा भाव कि कद्र है पर यहां भाव की नहीं कद्र होती है ,मेरी कलम की कब्र बनकर रह गई है ,अब नहीं हौंसला मुझ में कलम लिखना बंद कर रही हैं ,भाव से हर सच्चाई लिखते थे अब फिर हमें वही जाना है किताबों तक ही सीमित रहेंगे, भाव नहीं दुनिया को दिखाएंगे।