✍️मेरी माँ ✍️
जिसने खूबसूरत बना दिया हर दिन मेरा,
मेरी अंधेरी रातें लेकर जिसने दिया मुझे नया सवेरा,
जिनसे मिली मुझे पहचान है मेरी,
वो कोई और नहीं प्यारी माँ है मेरी,
क्या लिखूँ मैं उनके बारे में जिन्होंने,
खुद मुझे लिखा है,
करुणा , ममता, सहनशक्ति का हर अहसास,
मैंने उनसे ही सीखा है,
कैसे हर रिश्ते को दिल से अपनाना है,
कैसे अपना गम भूलकर अपनो के लिए मुस्काना है,
जीवन का हर पहलू उनसे ही समझ आया है,
कैसे कभी बेटी, कभी बहन, कभी माँ का हर किरदार निभाना है,
जिनके आँचल तले मिली खुशियाँ सारी,
वो माँ सिर्फ एक शब्द नहीं पूरी दुनिया है हमारी।
✍️वैष्णवी गुप्ता (vaishu)
कौशांबी