✍️नये सभ्यता के प्रयोगशील मानसिकता का विकास
हां मेरी जाती का नाम
सुनते ही उनके कदम
ठहर जाते थे ठाकुर
मोहल्ले के चौराहे पर
आधे कोस की दुरी से
वो मेरे बस्ती का जायजा
कर लेते थे ऊपरी तौर पे
राजू लोहार के जरिये
यही कुछ आठ दस साल
पुरानी बात का ये जिक्र है
हम सुविधाओं से वंचित
रह जाते थे सालो साल
मैं जानता हूँ के अब भी
मेरी यादाश्त ठीक है
वो चुनावी मौसम में
मेरे आगे की गल्ली में
रहनेवाली उम्रदराज़
मालती रहिदास चाची के घर
एक दिन का राजनैतिक
त्यौहार मनाने आनेवाले थे
उन्ही के घर रहना और खाना..!
मंत्री महोदय जी का आना
मानो हर गली और मोहल्ले का
रुका हुवा विकास ही था
चाचा जी अब स्वीपर पद के
नोकरी से सेवानिवृत्त है…
मेरी जाती का
अभिनव बदलाव
नये सभ्यता के प्रयोगशील
मानसिकता का विकास है..!
मात्र जाति तोड़ो विकास के
परिवर्तन से अब भी दूर कोसो दूर है….!
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©✍️’अशांत’ शेखर
29/09/2022