✍️कोई इंसान आया..✍️
✍️कोई इंसान आया..✍️
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ज़मी से आसमाँ को एक फर्मान आया
हवाँ का परिंदों के नाम ये एलान आया
अब वो अपनी हदों से उड़ना बंद कर दे
उनकी सुकून में नक़्स-ए-अमन आया
नहीं सोचा के पंखों पर लगेगी पाबंदियां
आझादी के वास्ते कैसा इम्तिहान आया
सुना है कुछ बाज़ दग़ाबाज़ी कर गये है
सुलह कर लेते पर बीच मे ईमान आया
पंछी सोच रहे है ये किसकी उक़ूबत है
शायद वहा ज़रूर कोई तो इंसान आया
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✍️”अशांत”शेखर✍️
05/07/2022
*नक़्स-ए-अमन-शांती भंग करनेवाला
*उक़ूबत = दंड, सजा, उत्पीड़न, यातना
*इमान = विश्वास, धर्म मत