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23 Aug 2022 · 1 min read

✍️कश्मकश भरी ज़िंदगी ✍️

कैसी कश्मकश भरी हो जाती है ज़िंदगी,
जब कोई ऐसा शक़्स होता है,
जिसे हम न प्यार कर पाते है न नफ़रत कर पाते है,
न स्नेह दिखा पाते है न गुस्सा कर पाते है,
न उन्हे हँसा पाते है न रुला पाते है,
न सज़ा दे पाते है न माफ़ कर पाते है,
वो क्यों ऐसी उलझनों मे डाल जाते है,
वो क्यों दिल की तकलीफ़ें बढ़ाते है,
जब खुद ही भूल जाते है रिश्ते सारे,
फिर क्यों वो रिश्ते हमे याद दिलाते है,
फिर क्यों वो रिश्ते हमे याद दिलाते है।

✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी

Language: Hindi
9 Likes · 10 Comments · 302 Views
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