✍️एक ख़ता✍️
✍️एक ख़ता✍️
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बहोत अच्छा लिखते है…!
क्या चेहरा भी पढ़ते है…?
नहीं..! वो जो आपकी
कलम से ना दर्द टपकता है..!
क्या चेहरे में भी नजर आता है..?
इतनी गहरी संवेदनाये लफ्ज़
बनकर उतरती है बर्फ की झील में…
कितनी गर्म, तापसी वेदनाये होगी…
आपके कलम को जो दिखता है
वो आपकी आँखों का धोका है क्या…?
या फिर रोशनी धुंधला गयी है….!
सच बताओ…गर दर्द नहीं तो ना सही…
पर दिल के किसी कोने में प्यार ही सही…
देर सवेर ही सही… थोड़ा उधार ही सही…
नजरे अक्सर धोका खाती है
वो दिलकी सुनते है…
और इश्क़ आँखों से छलकता है…!
पैमाने सा दिल होना चाहिये..
खैर आप दर्द लिखो मैं दवां लिखती हूँ !
प्यार को जिंदगी की एक ख़ता लिखती हूँ..!
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✍️”अशांत”शेखर✍️
30/06/2022