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24 Jun 2022 · 1 min read

✍️इँसा और परिंदे✍️

✍️इँसा और परिंदे✍️
……………………………………………………//
उन परिंदों के हौसले देखिये
अब वो मिलकर जाल बुने जा रहे है।

एक एक सभी होकर इक्कठे
वो मिलकर डाल ही उड़ाने जा रहे है।

बहेलियो के शिकार का डर है उन्हें
फिर भी उनके आसमां से उड़ने जा रहे है।

उनकी सोंच का मक़सद गहरा है
अब वो उनपे लगा पहरा तोड़ने जा रहे है।

वो परिंदे है इँसा की ख्वाइशें जी रहे है
इँसा परिंदों सी हसरते क़ैद करने जा रहे है।
………………………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
24/06/2022

2 Likes · 2 Comments · 405 Views
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