✍✍✍हौंसले सहस्त्र होंगे, जब ध्येय की हक़ीकत होगी✍✍✍
हौंसले सहस्त्र होंगे, जब ध्येय की हक़ीकत होगी,
श्रम बिन्दु जब दृश्य होंगे, विजय भी सजीव होगी,
विजय ख़ुशी की महक, सुगन्धित इत्र सी लगेगी,
प्रश्न चिन्ह भी हट जाएगा, जब परिश्रम की लकीर होगी ।।1।।
ध्येय को साधने की, समझ जब पैदा होगी,
मार्ग स्वयं ही खुलेंगे, ज्ञान की अग्नि होगी,
ज्ञान की वह महक,सुगन्धित इत्र सी लगेगी,
प्रश्न चिन्ह भी हट जाएगा, जब परिश्रम की लकीर होगी ।।2।।
निर्घात सा ध्येय मिलेगा, दृष्टि जब सटीक होगी,
ध्येय का अवसान होगा, नियम सदृश नीति होगी,
नीति की वह महक,सुगन्धित इत्र सी लगेगी,
प्रश्न चिन्ह भी हट जाएगा, जब परिश्रम की लकीर होगी ।।3।।
समर्पण का भाव होगा, योजना का राग होगा,
पुरुषार्थ का उदय होगा, जब ललक की प्रतीति होगी,
ललक की महक,सुगन्धित इत्र सी लगेगी,
प्रश्न चिन्ह भी हट जाएगा, जब परिश्रम की लकीर होगी ।।4।।
****अभिषेक पाराशर****