✍✍इस तरह आपसे मेरी मुलाकात हो✍✍
इस तरह आपसे मेरी मुलाकात हो,
खाँमोशियाँ हों ख़तम, दिल में जज़्बात हों।
नज़र भरकर आपको मैं देखता ही रहूँ,
रूह मेरी ख़ुशी से उछलती रहें ।।1।।
इस तरह …………………
हो पतझड़ ख़तम, आए सुहाना बसंत,
हवाओं की सरसराहट मयी कुछ बरसात हो।
श्रम की बूदें, चेहरे पर दिखाई पड़े,
मासूमियत भी थोड़ी मालूम हो ।।2।।
इस तरह ……………………
आफ़ताब की शुभ्र किरणें पड़े,
चाँदिनी सी भी यूँ ही कुछ दिखाई पड़े।।
गुलाबों की खुश्बू महका दें चमन,
कुछ कलियाँ भी खिलने को तैयार हों ।।3।।
इस तरह ………………………
आप आएं और पूछे ”अभिषेक” से,
स्पर्श कर उठाएँ बड़े प्रेम से।।
बता अपनी तू ये परेशानियाँ,
क्यों करता है ऐसी नादानियाँ ।।4।।
इस तरह …………………….
मैं हूँ ही तेरा इसे मान ले,
अब न जाऊँगा छोड़ तू इसे जान लें।।
ये आँखें अश्कों से भर आएंगी,
जिसे चाहती थी उसे आज पा जाएंगी ।।5।।
इस तरह …………………..
##अभिषेक पाराशर (9411931822)##