★किसान ★
कभी ना जल कभी ना थल कभी ना हल मांगा है।सलामत सभी रहे यही हर दफा हरदम मांगा है। करता रहा दिन रात कड़कती धूप में मेहनत फिर भी किसी से उसने ना कभी न छांव मांगा है। बहकती बारिश बिखेर गई फसलों को पर उसे क्या पता उस पर कितने किसानों ने अपने सपनों का समां बांधा है। और कड़कती धूप बे मौसम बारिश से परेशान नहीं वो जिसने जल थल हल को कृषि आधार माना है । दाने बाली में चावल दिवाली में अनाज हर थाली में कई बार मांगा है परिवार छोटा मगर सुखी संसार मांगा है और यह कहानी सुना रहा हूं उस शख्स की गालिब भारत रहे कृषि प्रधान सदा। जिसने खुदा से दुआ में हर बार मांगा है।।
★IPS KAMAL THAKUR★