☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
☄️ चयन प्रकिर्या ☄️
मेरा प्रेम मात्र
सदैव तुम्हारे लिए
त्याग स्वरूप ही रहा
पर तुम्हारा प्रेम
स्त्री देह चयन मात्र ही रहा
परित्याग रूप में
अनन्त काल तक
बिन बदलाव के
नियति यही रही कि
स्पर्श के बाद विछोह
मानों गंध मात्र से दूरी
शरीर को मात्र घरोंदा समझ
नष्ट कर देना मात्र
सदियों की रीति नीति
चयन प्रकिर्या शायद
तुम्हारे हाथों की कठपुतली
और उसके धागे नांचेगे
तुम्हारे इशारे मात्र से
पल में सँवारना व
पल में धूमिल कर देना
मेरा प्रेम मात्र
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद