{{◆ जल्दी लौट आया करो न ◆}}
जैसा प्यार किया है मैंने तुमसे
कुछ वैसा तुम भी तो मुझसे करो न
रोज़ पलके भिगोते हो मेरा तुम
कभी उन पलकों को चूम भी लिया करो न
बीत जाती है हर शाम गैर की महफ़िल में तेरी
कुछ पल मेरे अंजुमन में भी बिताया करो न
क्यों उठ कर जा रहे हो पहलू से मेरे तुम
इन्तेज़ार रहता है तुम्हारा, जल्दी लौट आया करो न
ज़िन्दगी एक बुरी खबर बनती जा रही है
तुम ही कुछ अच्छी खबर सुना दिया करो न
क्या यू ही तरस के मर जाएंगे हम एक दिन
कुछ बूंद मोहब्बत का बरसा दिया करो न
क्यों कैद होना है तुझे दूसरी बाँहो में
कभी मेरे दर्द का भी ख्याल किया करो न