{{◆◆ लाज़मी ◆◆}}
तमन्ना ताउम्र मेरी बस इतनी ही रही
थोड़ा सा आसमा, थोड़ी सी ज़मी रही
तरीके नही आते थे, झूठे अदाओं के मुझे
तभी तो मोहब्बत में, उनकी कमी रही
पत्थर भी इतनी ठोकर के बाद टूट जाता
तुमसे इश्क़ था, इसलिए तेरे लिए नमी रही
हर सांस को, हर आरज़ू के साथ दफ़न कर दिया
तेरे इन्तेज़ार में आँखे बस, रास्ते पे थमी रही
मेरी चाहत को तुमने, अपने माज़ी से जोड़ दिया
मैं तो रूह थी चाहत की तभी तो, तेरे ज़िस्म को लाज़िमी रही